कुछ पल ही सही मुझे सुन जाते
कितना सुन्ना है मेरा मन
काश तुम टटोल पाते
सब कुछ बिखरा था,मेरे मन की तरह
काश तुम समेट पाते
बहुत वक्त हुए तुमसे मिले
काश तुम भी तड़प पाते
रोते तुम भी हो,रोते हम भी है
काश दोनो मिलकर फिर से हँस पाते
वो वक्त था या क्या था
वो तुम थी या क्या था
हवा का कुछ कहना था
या फिर कोई धोखा था
जो भी था
लगा तुम थी.....