चल सखी अब चलते है ;
देर हुई अब फिर कभी मिलते है .
महफ़िल मे अब न बेठा जाएगा सखी ;
आँशु पैमाने मे छलकने लगेंगे .
चल सखी अब चलते है …..
फिर क्या पता कभी मिलना हो न हो ;
इन सपनो को अब इसी महफ़िल मे दफनाते है .
अब न कोई अपना सखी ,न अब कोई सपना ;
दुनिया कि भीड़ मे अब खोते है .
चल सखी अब हम चलते है ….
देर हुई अब फिर कभी मिलते है .
महफ़िल मे अब न बेठा जाएगा सखी ;
आँशु पैमाने मे छलकने लगेंगे .
चल सखी अब चलते है …..
फिर क्या पता कभी मिलना हो न हो ;
इन सपनो को अब इसी महफ़िल मे दफनाते है .
अब न कोई अपना सखी ,न अब कोई सपना ;
दुनिया कि भीड़ मे अब खोते है .
चल सखी अब हम चलते है ….
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